होटल बनाने के लिए वास्तु टिप्स
होटल बनाने के लिए वास्तु टिप्स :-
जिस प्रकार हम जानते हैं कि आवासीय मकान की चौड़ाई आगे से कम तथा पीछे से ज्यादा हो तो अच्छी मानी जाती हैं उसी प्रकार व्यवसायिक बिल्डिंग की चौड़ाई आगे से ज्यादा तथा पीछे से कम हो तो अच्छी मानी जाती हैं | ऐसी जगह शुभ फलदायी होती हैं | आज हम यहां आपको होटल के बारे में जानकारी देंगे जिसको अपना कर आप अपने व्यवसाय में चार चाँद लगा सकते हैं |होटल / रेस्टोरेंट कैसे बनाये / बनावट कैसे करें :-
* होटल बनाते हुए ये ध्यान रखें कि उत्तर और पूर्व की तरफ ज्यादा खाली या खुली हुयी जगह होती चाहिए दक्षिण और पश्चिम की अपेक्षा | अर्थात बालकनी और बरामदे इन दिशाओं में ज्यादा बनाने चाहिए |
* होटल में स्वागत कक्ष या रेस्टोरेन्ट का निर्माण भूमितल पर करना चाहिए |
* होटल का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा या ईशान कोण में रखना चाहिए | जो कि शुभ माना गया हैं | यदि प्रवेश द्वार दक्षिणी दवार में बनाना पड़े तो उसको दक्षिण -पूर्व की ओर तथा पश्चिमी दवार में बनाना पड़े तो उत्तर -पश्चिम में बना सकते हैं |
* स्विमिंग पूल, तालाब, और फुहारे उत्तर दिशा में या पूर्व दिशा में होने चाहिए |
* होटल में जलपान घर भूमि के दक्षिण - पश्चिम दिशा में होना चाहिए |
* होटल में किचन का निर्माण आग्नये कोण में करना चाहिए और अन्न आदि का भण्डारण वायव्य कोण में करना चाहिए |
* होटल या रेस्टोरेन्ट का भाग पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा वाला ऊँचा होना चाहिए तथा उत्तर से दक्षिण वाला भाग ऊँचा होना चाहिए | अर्थात होटल की भूमि का ढ़लान पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए |
* पानी का प्रबंध ईशान कोण, उत्तर या पूर्व दिशा में ही करना चाहिए | पानी का बहाव भी पूर्व दिशा या ईशान कोण में ही किया जाना चाहिए |
* बिजली का सारा सामान जैसे जनरेटर ,ट्रांसफार्मर,एयर -कंडीशनर, बिजली का मीटर आदि आग्नये कोण में रखने चाहिए |
* होटल या रेस्टोरेन्ट में बाथरूम और टॉयलेट अटैच बना सकते हैं हर कमरे के साथ, इनको वायव्य कोण या नैरत्य कोण में बनाना चाहिए अगर संभव न हो तो आग्नये कोण में भी बना सकते हैं | लेकिन ईशान कोण में कभी भी नहीं बनाया जाना चाहिए |
* होटल या रेस्टोरेन्ट में गेस्ट्स के लिए प्रयोग होने वाले बिस्तर रखने का कमरा तथा कैश काउंटर दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए |
* रिसेप्शन काउंटर ईशान कोण में या नैरत्य कोण में होना चाहिए तथा रिसेप्सनिस्ट का मुख पूर्व या उत्तर की तरफ वाला शुभ फलदायी माना गया हैं |
* अपने घरों की भांति होटल में भी किचन का निर्माण आग्नये कोण में ही होना चाहिए , यदि किन्ही परिस्थियों के कारण ऐसा नहीं हैं तो इतना जरूर करें कि अग्नि सम्बंधित सभी कार्य उस कक्ष के आग्नये कोण में ही करें |
होटल स्वामी का कमरा कहाँ बनाये :-
होटल के मालिक का कमरा नैरत्य कोण में ही बनाया जाना चाहिए जिससे होटल के स्वामित्व में स्थायित्व रहता हैं तथा कोई बाधा आदि उसको परेशान नहीं करती | होटल स्वामी के कमरे में उसकी चेयर या सिटिंग ऐसी रख्ने कि उसका मुख़ पश्चिम या दक्षिण दिशा में रहे | तिजोरी भी दक्षिण दिशा में रखनी चाहिए जिससे उसका मुख उत्तर की ओर खुले |
कमरों का निर्माण कैसे करें :-
होटल या रेस्टोरेन्ट के कमरों के द्वार उत्तर ,पूर्व या ईशान कोण में ही रखने चाहिए तथा ये वाला भाग हल्का और खाली -खाली रखना चाहिए | कमरों का फर्नीचर,बेड, सोफा आदि भारी सामान कमरे के दक्षिण या पश्चिम दिशा
में ही रखना चाहिए | कमरों का वाश - बेसिन पश्चिम दिशा में रखना चाहिए |

सावधानी :-
* बहुमंजिला होटलों में ये ध्यान रखें कि टॉयलेट और बाथरूम कभी भी ईशान कोण में न बने |
* वाश -बेसिन का निर्माण डायनिंग हॉल के बीचों - बीच नहीं बनवाना चाहिए |
* अग्नि सम्बंधित कार्यों को सिर्फ और सिर्फ आग्नये कोण में ही करना चाहिए किसी और दिशा में नहीं |
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